शिव चालीसा लिरिक्स - Shiv Chalisa In Hindi
।।ॐ नमः शिवाय।।
श्री शिव चालीसा
॥दोहा॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देह अभय वरदान ॥
॥चौपाई॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥
मैना मातु की हवे दुलारी।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ।
या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
त्रत षडानन आप पठायउ।
लवनिमेष महें मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा।
सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं।
हीं सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
हीं वेद माहि महिमा तुम गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥
कीन्ही दया तह करी सहाई।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई।
कमल नयन पूजन चह सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी।
करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।
येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।
संकट ते मोहि आन उबारो॥
मात-पिता भ्राता सब होई।
संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी।
आय हरह मम संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदा हीं।
हीं जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
हीं अस्तुति केहि विधि करें तुम्हारी।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।
शारद नारद शीश नवावें ॥
नमो नमो जय नमः शिवाय।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई।
ता पर होल है शम्भु सहाई॥
ऋनियां जो कोई हो अधिकारी।
पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा।
ताके तन नहीं रहें कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्रद्य चढ़ावे।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥
अयोध्यादास आस कहैं तुम्हारी।
जानि सकल दुः ख हरहु हमारी॥
॥दोहा॥
नित नेम उठि प्रातः ही, पाठ करो चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसिर उठि हेमन्त ऋतु, संवत चौसठ जान।
स्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥
शिव चालीसा हिन्दी में | Shiv Chalisa Lyrics PDF
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के लिरिक्स : यह श्री शिव चालीसा का पाठ PDF में Download करें और ऑफलाइन भी पढ़ें।

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